Monday, October 20, 2008

बाल मजदूर कानून की उर रही धज्जी.

Oct 18, 08:53 pm

बछवाड़ा (बेगूसराय) बालश्रम निरोधक कानून का असर बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र में देखने को नहीं मिल रहा है। अक्टूबर 08 में लागू हुए इस कानून के दो वर्ष पूरे हो गए। बावजूद होटल, चाय दुकान, पंक्चर दुकान आदि जगहों पर बाल मजदूर का शोषण बदस्तूर जारी है। यहां तक कि प्रखंड कार्यालय में चाय पहुंचाने का काम बाल मजदूरों से कराया जाता है। परंतु श्रम प्रवर्तन अधिकारी व जन प्रतिनिधि के आंखों पर जमी परत के कारण इसे देख नहीं पाते।

बाल मजदूरों के काल्याणार्थ खोले गए विद्यालय में भी गैर बाल मजदूरों का नामांकन कर कागजी खानापूर्ति कर ली गई। 12 वर्षीय गब्बर कपड़े में काज बटन लगाने का काम करता है तो सोमनाथ, गोरखा स्कूल ड्रेस में जूठा प्लेट धोने को मजबूर है। प्राथमिक विद्यालय रानी पूर्वी का छात्र विक्रम व भूषण बूट पालिश कर रहा है तो प्राथमिक विद्यालय अरबा नवीन छात्र लालो, कुंदन, दीपक साग बेचने को मजबूर हैं। जो आज भी स्कूल नहीं जा पा रहे है। बाल मजदूरों की यह स्थिति देखकर भी अधिकारी अंजान बने हैं।

सूत्र बताते हैं कि इन होटलों से प्रतिवर्ष श्रम प्रवर्तन अधिकारी को नजराना स्वरूप चढ़ावा दिया जा रहा है। 18 मार्च 08 को महिला सोशल हेल्थ जागृति केन्द्र के सदस्यों द्वारा 18 बाल मजदूरों को दलालों के चंगुल से बछवाड़ा रेलवे स्टेशन पर मुक्त कराया जो सिर्फ अखबार का समाचार तक ही सिमट कर रह गया। संस्था के सचिव रश्मि सिंह बताती हैं कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण बाल मजदूरों का शोषण हो रहा है। श्री सिंह ने जिलाधिकारी से हस्तक्षेप करने की मांग की।

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