Saturday, September 20, 2008

महिला के साथ छेड़खानी कर रहे नशे में धुत आरपीएफ सिपाही की लोगों ने जमकर पिटाई

Sep 19, 10:05 pm

बछवाड़ा (बेगूसराय)

बछवाड़ा रेलवे टमटम स्टैड में महिला रेल यात्री के साथ छेड़खानी कर रहे नशे में धुत आरपीएफ सिपाही की गुरुवार की रात स्थानीय लोगों ने जमकर पिटाई कर दी। पिटाई से सिपाही बुरी तरह जख्मी हो गया। लोगों की भीड़ छंटने के बाद उसके साथी उसे उठा ले गये।

घटना के बारे में बताया गया कि गुरुवार की रात एक नवदंपति ट्रेन से उतरकर समसा जाने हेतु तांगा पकड़े। तांगे पर मात्र दो सवारी होने के कारण तांगा चालक अन्य यात्रियों के इंतजार में रुका रहा। इसी बीच नशे में धुत आरपीएफ सिपाही राज कुमार शर्मा हाफ पैंट व बनियान पहने वहां पहुंच गया। तांगा पर नवदंपति को देख सिपाही की नियत खराब हो गई। उसने महिला के साथ छेड़खानी करना शुरू कर दी। विरोध करने पर महिला के पति की पिटाई भी कर दी।

यह खबर स्टेशन से कुछ ही दूर बैंक बाजार पहुंच गई। जहां से संगठित होकर स्थानीय लोग स्टैड पहुंच गये। तभी लोकल ट्रेन भी स्टेशन पर आ गई जिससे भारी मात्रा में यात्री तांगा पकड़ने पहुंचे। महिला के साथ छेड़खानी करते देख स्थानीय लोग व यात्री आक्रोशित होकर सिपाही पर टूट पड़े व जमकर पिटाई की। ज्ञात हो कि इससे पूर्व भी महिला के साथ छेड़खानी कर रहे एक आरपीएफ हवलदार की लोगों ने जमकर पिटाई कर लोकल थाने के हवाले कर दिया था। आये दिन स्टेशन परिसर में रक्षक के रूप में तैनात सिपाही ही महिलाओं के साथ भक्षक का कार्य कर रहे है। सिपाही की इस करतूत से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है।

Thursday, September 18, 2008

लालू राबड़ी की शादी.

आज से लगभग 35 साल पहले 25 साल की उम्र में लालू प्रसाद की जब 14 वर्षीया राबड़ी देवी से शादी हुई तो उन्हें दहेज में पांच हजार रुपये नकद, कुछ गाय और बछड़ों के साथ पांच बीघा जमीन मिली थी।

राबड़ी देवी ने उन दिनों को याद करते हुए बताया कि लालू से उनके विवाह को उनके परिवार के लोग बेमेल बता रहे थे। यह शादी यूं ही आसानी से नहीं हुई बल्कि इसमें कई पारिवारिक ड्रामे सस्पेंस और तनाव के दौर आए। राबड़ी ने बताया शादी में खूब झगड़ा हुआ। कारण यह था कि मेरी अन्य सभी बहनों की शादी खाते-पीते परिवारों में हुई थी जिनके पास खूब जमीन थी जबकि मेरे ससुराल वालों के पास खाली छप्पर की झोपड़ी थी।

उन्होंने बताया कि उनके घर खानदान के सभी लोग उनके पिता से यह सवाल करते रहे कि अपनी लड़की को ऐसे घर में क्यों दे रहे हो लेकिन पिता का एक ही जवाब होता था, हमें लड़का पसंद है। राबड़ी ने बताया कि उनके परिवार ने उनके पति को पांच बीघा जमीन भी उपहार में दी ताकि वह आरामदायक जीवन बसर कर सकें। यह सारा खुलासा लालू प्रसाद के जीवन पर आधारित अंग्रेजी में लिखी किताब लालू प्रसाद इंडियाज मिरैकिल में किया गया है जिसे नीना झा और शिवनाथ झा ने लिखा है।

Sunday, September 14, 2008

जिला परिषद् पर कातिलाना हमला

Sep 13, 09:43 pm

बछवाड़ा (बेगूसराय)

थाना क्षेत्र के फतेहा गांव में शनिवार की शाम जिप सदस्य अरविन्द चौधरी के घर पर अपराधियों ने जमकर गोलीबारी की। हमलावरों की गोलीबारी में श्री चौधरी बाल-बाल बच गए। गोलीबारी के बाद हमलावर पड़ोस के मकान में घुस गया। घटना की सूचना पाते ही डीएसपी तेघड़ा अमृतेन्दु शेखर ठाकुर, बछवाड़ा थानाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह सदल-बल घटना स्थल पर पहुंचकर हमलावर को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस ने घटना स्थल से थ्री नाट थ्री का सात खोखा एवं हमलावर के पास छह जिंदा कारतूस एवं दो पिस्तौल बरामद किया।

घटना के बारे में बताया किया गया कि फतेहा निवासी रामबली चौधरी उर्फ लालटुन चौधरी का पुत्र राकेश चौधरी एवं रजनीश चौधरी उर्फ ब्रजेश ने शनिवार की शाम जिला पार्षद अरविन्द चौधरी के घर पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दिया। घटना का कारण जमीनी विवाद बताया गया है। गोलीबारी के क्रम में ग्रामीणों ने संगठित होकर हमलावर को खदेड़ना शुरू कर दिया। दोनों एक घर में घुसकर अंदर से ग्रिल बंद कर दिया। घटना की सूचना पाते ही पुलिस हमलावरों को अपने कब्जे में ले लिया परंतु आक्रोशित ग्रामीण हमलावर को अपने हवाले करने की मांग कर रहे थे। समाचार प्रेषण तक दोनों हमलावर पुलिस की गिरफ्त में घर में बंद थे।

Friday, September 12, 2008

50 वर्षीय प्रौढ़ महिला ने अपने 8वें पुत्र रत्‍‌न को जन्म दिया।

बछवाड़ा (बेगूसराय)

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मंगलवार की रात 50 वर्षीय प्रौढ़ महिला ने अपने 8वें पुत्र रत्‍‌न को जन्म दिया। उक्त महिला को आशा बहू नंदनी कुमारी ने सोमवार को प्रसव हेतु पीएचसी में भर्र्ती कराया। सोमवार से मंगलवार की रात तक कुल 14 बच्चों ने यहां जन्म लिया जिसमें कादराबाद पंचायत की 48 वर्षीय महिला ने भी एक पुत्र जना। एएनएम मनोज कुमारी ने बतायी कि मोहनपुर डीह निवासी 50 वर्षीय सरिता देवी ने मंगलवार को पुत्र जना। यह उसका आठवां बच्चा है। इससे पूर्व आशा बहू नंदनी ने उसे बंध्याकरण हेतु बार-बार प्रेरित किया परंतु महावारी बंद होने के कारण उक्त महिला अपना बंध्याकरण कराना मुनासिब नहीं समझी। 50 वर्ष के भी उम्र में जब वह गर्भवती हुई तो लोगों में आश्चर्य हुआ। एएनएम ने बताया कि बच्चे जनने का सेफ पीरियड 20 से 30 वर्ष है। इसके बाद जच्चा-बच्चा दोनों को जान का खतरा बना रहता है।

Wednesday, September 10, 2008

महाप्रयोग हो गया शुरू

तीन दशक की तैयारियों और अनेक बाधाओं को पार करते हुए फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड की सीमा पर दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक परीक्षण शुरू हो गया है.

27 किलोमीटर लंबी सुरंग में पहली बार अणुओं को छोड़ा गया है और वे विपरीत दिशाओं में बहुत तेज़ गति से एक दूसरे से टकराएँगे, उनसे मिलने वाली जानकारी पृथ्वी की उत्पत्ति की 'बिग बैंग' थ्योरी को समझने में मदद मिलेगी.

लार्ज हेड्रोन कोलाइडर यानी एलएचसी से जुड़े वैज्ञानिकों ने तालियाँ बजाकर कणों को सुंरग में सफलतापूर्वक छोड़े जाने पर खुशी प्रकट की है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रयोग से मिलने वाले आंकड़ों का अध्ययन भी आगे बरसों बरस चलता रहेगा.

इस प्रयोग के बारे में दुनिया में कई जगह अटकलें लगाई जा रही थीं कि इससे 'ब्लैक होल' का निर्माण होगा और जिससे पृथ्वी को ख़तरा हो सकता है. हालाँकि इससे जुड़े वैज्ञानिकों ने कहा था कि यह प्रयोग पूरी तरह से सुरक्षित है.

इस प्रयोग के पहले चरण के दौरान अणु के एक सूक्ष्म कण - प्रोटॉन का इस्तेमाल किया जा रहा है और फ़िलहाल प्रोटॉन्स की पहली किरणों को 27 किलोमीटर की सुरंग में छोड़ा गया है.

इसके अगले चरणों में प्रोटॉन्स को गोलाकार सुरंगों में पहली किरणों के विपरित दिशाओं में भेजा जाएगा और कुछ विशेष स्थानों पर आपस में टकराया जाएगा और फिर जानकारी एकत्र की जाएगी.

अपने तरह के इस अनूठे प्रयोग पर पूरी दुनिया की नज़र लगी हुई है.

प्रयोगशाला

इस प्रयोग के लिए जो ढाँचा खड़ा किया गया है उसे प्रयोगशाला कहने से उसके आकार का अंदाज़ा लगाना कठिन है.

इसे तैयार किया है परमाणु मामलों पर शोध करने वाली यूरोपीय संस्था सर्न ने.

स्विट्ज़रलैंड और फ़्रांस की सीमा पर जहाँ इसे स्थापित किया गया है, सतह को देखकर कुछ अनुमान नहीं लगता क्योंकि यह ज़मीन से 175 मीटर नीचे स्थित है.

इसमें 27 किलोमीटर लंबी एक सुरंग तैयार की गई है जिसमें विशालकाय पाइपलाइन बिछाई गई है. सैकड़ों मीटर लंबे केबल लगे हुए हैं.

इसमें एक हज़ार से अधिक बेलनाकार चुंबकों को जोड़ा गया है. यह पूरा ढाँचा तीन अलग-अलग आकार के गोलों में बनाया गया है.

इसमें बीच में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) लगाए गए हैं जिसके अलग-अलग हिस्से प्रयोग के अलग-अलग परिणामों का विश्लेषण करेंगे.

प्रयोग के दौरान घट रही भौतिकीय घटनाओं को दर्ज करने के लिए विशालकाय कंप्यूटर ढाँचा तैयार किया गया है और एक नए नेटवर्क से इसे पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के कंप्यूटरों से जोड़ा गया है.

दुनिया भर के कई देशों को अनेक वैज्ञानिक इस प्रयोग में हिस्सा ले रहे हैं.

कैसे होगा प्रयोग

इस प्रयोग के लिए प्रोटॉनों को इस गोलाकार सुरंगों में दो विपरित दिशाओं से भेजा जाएगा.

इनकी गति प्रकाश की गति के लगभग बराबर होगी और जैसा कि वैज्ञानिक बता रहे हैं प्रोटान एक सेकेंड में 11,000 से भी अधिक परिक्रमा पूरी करेंगे.

इसी प्रक्रिया के दौरान प्रोटॉन कुछ विशेष स्थानों पर आपस में टकराएँगे. अनुमान लगाया गया है कि प्रोटॉनों के टकराने की 60 करोड़ से भी ज़्यादा घटनाएँ होंगी और इन्हीं घटनाओं को एलएचसी के विभिन्न हिस्सों में दर्ज किया जाएगा.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दौरान प्रति सेकेंड सौ मेगाबाइट से भी ज़्यादा आँकड़े एकत्रित किए जा सकेंगे.

उनका कहना है कि प्रोटॉनों के टकराने की घटना सबसे दिसचस्प घटना होगी और इसी से ब्रह्मांड के बनने के रहस्य खुलने का अनुमान है.

वैज्ञानिक कहते हैं कि इस प्रयोग से यह रहस्य खुलने का अनुमान है कि आख़िर द्रव्य क्या है? और उनमें द्रव्यमान कहाँ से आता है?

लीवरपूल यूनिवर्सिटी के भौतिकशास्त्री डॉ तारा शियर्स का कहना है, "हम द्रव्य को उस तरह से देख सकेंगे जैसा पहले कभी नहीं देखा गया."

उनका कहना है, "वह एक सेकेंड का एक अरबवाँ हिस्सा रहा होगा जब ब्रह्मांड का निर्माण हुआ होगा और संभावना है कि हम उस क्षण को देख सकेंगे."

वैसे इस प्रयोग का एक उद्देश्य हिग्स बॉसन कणों को प्राप्त करने की कोशिश करना भी है जिसे इश्वरीय कण भी माना जाता है.

यह एक ऐसा कण है जिसके बारे में वैज्ञानिक सिद्धांत रूप में तो जानते हैं और यह मानते हैं कि इसी की वजह से कणों का द्रव्यमान होता है.

सर्न परियोजना में कार्यरत अकेली भारतीय वैज्ञानिक अर्चना शर्मा से जब बीबीसी ने पूछा कि आख़िर इस प्रयोग की ज़रुरत क्या थी, तो उन्होंने कहा, "हम विज्ञान के कगार पर हैं और अब आगे बढ़ना चाहते हैं, ब्रह्मांड को समझाना चाहते हैं."

वे कहती हैं कि इस प्रयोग से कई और नई जानकारियाँ निकलकर सामने आएँगीं.

लंबी तैयारी

इस लार्ज हैड्रन कोलाइड की परिकल्पना 1980 में की गई थी और वर्ष 1996 में इस परियोजना को मंज़ूरी मिली.

तब इसकी लागत 2.6 अरब यूरो होने का अनुमान लगाया गया था. बाद में पता चला कि सर्न ने ग़लत अनुमान लगाया था और तब एलएचसी को पूरा करने के लिए बैंकों से कर्ज़ भी लेना पड़ा.

परियोजना को पूरा करने में शुरुआती अनुमान की तुलना में चार गुना अधिक पैसा लग गया.

इसके निर्माण के दौरान उपकरणों ने धोखा दिया, निर्माण की समस्याएँ सामने आईं और नतीजा यह हुआ कि पूरी परियोजना में दो साल की देरी हो गई.

भारतीय वैज्ञानिक अर्चना शर्मा ने बताया कि इस परियोजना में मूल रूप से यूरोपीय संघ के 20 देश और छह ग़ैर सदस्य देश मिलकर काम कर रहे हैं.

वैसे इस पूरे प्रयोग से कोई सौ देशों के हज़ारों वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं.

इस प्रयोग के बारे में वे कहती हैं कि इनके परिणामों से क्या-क्या निकलेगा यह बताना कठिन है क्योंकि बहुत से नतीजों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता.

'ख़तरा नहीं'

इस प्रयोग को लेकर दुनिया के कई हिस्सों में यह भय भी पैदा हुआ कि इससे पृथ्वी को ख़तरा हो सकता है.

कुछ लोगों का कहना था कि इससे ब्लैक होल बनने का ख़तरा है जिसमें सब कुछ समा जाएगा.

लेकिन सर्न के वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर ब्रायन कॉक्स इसे बेबुनियाद बताते हैं और कहते हैं, "एलएचसी में तो प्रक्रिया होगी उससे पृथ्वी तो छोड़ दीजिए, प्रोटॉन के अलावा कुछ भी नहीं टूटने वाला है."

ब्लैक होल बनने के सिद्धांत को स्वीकार करते हुए प्रोफ़ेसर कॉक्स कहते हैं कि हो सकता है कि इस प्रक्रिया में बहुत छोटे यानी सूक्ष्म ब्लैक होल बनें लेकिन यह प्रक्रिया को इस प्रयोग के बिना इस समय भी चल रही है लेकिन इससे कोई नुक़सान नहीं हो रहा है.

उनका कहना है कि सूक्ष्म ब्लैक होल शीघ्रता से नष्ट भी हो जाते हैं.

प्रोफ़ेसर कॉक्स का कहना है, "जो इससे सहमत नहीं हैं उन्हें यह तो मानना चाहिए कि अभी तक इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं कि ब्लैक होल सब कुछ लील लेता है, वरना सूरज, चंद्रमा और बहुत से और ग्रह अब तक उसका शिकार हो चुके होते."

वे मानते हैं कि लोगों को डराने के लिए यह कुछ षडयंत्रकारी और सिर्फ़ सिद्धांत पर भरोसा करने वाले लोगों का काम है.

Friday, September 5, 2008

मजदूरी की मांग को लेकर कार्यक्रम पदाधिकारी को घंटों बंधक बनाया

Sep 01, 08:07 pm

बछवाड़ा (बेगूसराय) प्रखंड साक्षरता कार्यालय पर सोमवार को रानी एक पंचायत सैकड़ों महिला-पुरुष मजदूरों ने बकाए मजदूरी की मांग को लेकर नरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी राजीव कुमार को घंटों बंधक बनाए रखा। मजदूरों को बकाए मजदूरी की मांग के लिए जागरूक करने का काम साक्षरता सचिव श्रीराम राय, अवधेश कुमार व कामिनी कुमारी ने किया। कार्यक्रम पदाधिकारी ने मजदूरों द्वारा किये गए कार्यदिवस से अधिक कार्य दिवस को जाब कार्ड पर दर्शाने को अपराध की संज्ञा देते हुए इसमें सुधार करवाने का एक मौका मजदूरों से मांगा।

ज्ञात हो कि बछवाड़ा थाना परिसर में नरेगा के तहत ग्राम पंचायत रानी के द्वारा मिट्टी भराई का काम किया गया। जिसमें मजदूरों ने काम किया सात दिन परंतु जाब कार्ड पर कुल कार्य दिवस 13 दिन दिखाकर 1066 रुपया भुगतान चढ़ा दिया गया है। जबकि मजदूरों द्वारा किये गए सात दिन में किसी का एक दिन तो किसी का दो दिन की मजदूरी बकाया रह गया। दो माह बाद मजदूरों ने साक्षरता कार्यालय पहुंचकर इसकी शिकायत की। साक्षरता कर्मियों ने मजदूरों को मजदूरी भुगतान कराने में पहल की। कार्यक्रम पदाधिकारी राजीव कुमार ने मजदूरों को तीन दिन के अंदर बकाए मजदूरी का भुगतान व जाब कार्ड पर दर्शाए गए कार्य दिवस में सुधार की गारंटी दी। तब जाकर मजदूरों ने कार्यक्रम पदाधिकारी को मुक्त किया।

Wednesday, September 3, 2008

मजदूरी की मांग को लेकर नरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी को घंटों बंधक बनाए रखा।

Sep 01, 08:07 pm

बछवाड़ा (बेगूसराय) प्रखंड साक्षरता कार्यालय पर सोमवार को रानी एक पंचायत सैकड़ों महिला-पुरुष मजदूरों ने बकाए मजदूरी की मांग को लेकर नरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी राजीव कुमार को घंटों बंधक बनाए रखा। मजदूरों को बकाए मजदूरी की मांग के लिए जागरूक करने का काम साक्षरता सचिव श्रीराम राय, अवधेश कुमार व कामिनी कुमारी ने किया। कार्यक्रम पदाधिकारी ने मजदूरों द्वारा किये गए कार्यदिवस से अधिक कार्य दिवस को जाब कार्ड पर दर्शाने को अपराध की संज्ञा देते हुए इसमें सुधार करवाने का एक मौका मजदूरों से मांगा।

ज्ञात हो कि बछवाड़ा थाना परिसर में नरेगा के तहत ग्राम पंचायत रानी के द्वारा मिट्टी भराई का काम किया गया। जिसमें मजदूरों ने काम किया सात दिन परंतु जाब कार्ड पर कुल कार्य दिवस 13 दिन दिखाकर 1066 रुपया भुगतान चढ़ा दिया गया है। जबकि मजदूरों द्वारा किये गए सात दिन में किसी का एक दिन तो किसी का दो दिन की मजदूरी बकाया रह गया। दो माह बाद मजदूरों ने साक्षरता कार्यालय पहुंचकर इसकी शिकायत की। साक्षरता कर्मियों ने मजदूरों को मजदूरी भुगतान कराने में पहल की। कार्यक्रम पदाधिकारी राजीव कुमार ने मजदूरों को तीन दिन के अंदर बकाए मजदूरी का भुगतान व जाब कार्ड पर दर्शाए गए कार्य दिवस में सुधार की गारंटी दी। तब जाकर मजदूरों ने कार्यक्रम पदाधिकारी को मुक्त किया।

Monday, September 1, 2008

शिष्या को लेकर गुरु जी फरार

Aug 31, 09:49 pm

बछवाड़ा (बेगूसराय)

एक और मटुकनाथ गुरु द्वारा अपनी शिष्या (जूली) को प्रेम जाल में फंसाकर ले भागने का मामला प्रकाश में आया। हालांकि जूली के माता-पिता द्वारा थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गई है। बताया जाता है कि स्थानीय निवासी बीजो दास का पुत्र सरोज दास जो पहले मध्य विद्यालय नारेपुर में शिक्षक था, ने अपनी पड़ोसन सह शिष्या जूली (काल्पनिक नाम) को गुरुवार की रात ले भागा। बताया जाता है कि शिक्षक सरोज दास विद्यालय के बाद अपनी शिष्या जूली को ट्यूशन पढ़ाया करता था। इसी दरम्यान दोनों में प्रेम के बीज पनपने लगे। वर्ष 2004 में सरोज की नियुक्ति शिक्षा मित्र के पद पर मध्य विद्यालय नारेपुर में हुई। वर्ष 2005 में उक्त शिक्षक का विधिवत विवाह लखीसराय जिला में हुआ था। पर रसिक शिक्षक को शादी के बाद लड़की पसंद नहीं आयी। वह लड़की के साथ-साथ शिक्षा मित्र की नौकरी को भी छोड़कर अन्यत्र भाग गया। इधर लड़की के पिता ने दामाद को काफी तलाश किया परंतु सरोज दास का कोई पता नहीं चल पाया। इधर कुछ सप्ताह पूर्व सरोज बछवाड़ा आया। इसकी अगली रणनीति का जब तक पता लगाता गुरुवार की रात मटुकनाथ गुरु सरोज अपनी शिष्या जूली को लेकर फरार हो गया।